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Sunday, February 1, 2015

Bajjika Song-2

हिले लागल मन

पिपर के पत्ता लेखा हरदम हिले लागल मन
जहिया से देखली तोहरा हेरा गेली हम

सोंच सोंच के हार गेली अब न याद हम करम
मुदा करु कि तोहरे याद के आसपास रहे लगली हरदम

भुल गेली बरहमबाबा न याद रहलन गोसांइ
धरती या असमान मे देखै छि खाली तोहर परछाइ

हे दइव हे भगमान  बुझे न सकली भेल छि हम शिला
काहे बनैला आदमी आ काहे रचैला प्यार के लिला


विश्वराज अधिकारी


गोरखापत्र "नया नेपाल" बज्जिका पृष्ठमा २०७० फागुन १० गते शनिवार प्रकाशित

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