नेपाली राजनीति आ हिंसा
बहुत लोगके ई बात पसन्द नहोइ। ई बात बहुत लोगके
खिसो उठादी। मुदा ई बात सत्य हए। पथ्थरमे लिखल जसइन हए। नेपाली राजनीतिके निव
हिंसा हए। मारकाट हए। हिसां आ मारकाटके निवपर नेपालके राजनीति खडा हए। नेपालके
राजनीतिक इतिहास हिंसासे भरल हए। विगतमे त भेल भेल, अखुनी इ आधुनिक आ सभ्य युगमे
भी नेपालके राजनीतिमे हिंसा जारि हए। कहियो एहन लगइए कि हमनीके नस नसमे हिंसा हए।
हमनीसब हिंसासे भरल छी। हिंसा हमनीसबको प्रकृति होगेल हए।
हिंसा सभ्य समाजके कलंक हए। येकर समाप्ति वहुत
आवश्यक हए। हिंसा सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विकासके शत्रु हए। हिंसक समाजमे लोगके
उचित बौधिक विकास कहियो न होसकी। उल्टे, हिंसक समाजमे खुन, खराब, प्रतिसोध फैलिइ। जौन
देशमे जेतना हिंसा होइ, ऊ देश ओतने ही आर्थिक विकासमे पछाडि परि। बर्षौसे चलल
हत्या, हिंसाके अफगानिस्तानके केहन बनादेलख, जह जाहेर हए।
२००७ सालमे पञ्चायतके बिरोधमे, प्रजातन्त्र आ
राजनीतिक स्वतन्त्रताके लेल कांग्रेसद्वारा कएलगेल आन्दोलन भी हिंसक रहे। हिंसाके
आकार छोट रहे। मुदा कांग्रेसके नेतासब हिंसाके सहारा लेलख। महात्मा गाँधी से बहुत
प्रभावित विश्वेश्वरप्रसाद कोइराला जइसन प्रजातान्त्रिक नेता गाँधीके शान्ति मार्ग
छोडके हिंसाके सहारा लेलथिन। गाँधी जइसन नेपाली कांग्रेसके कौनो नेता सत्याग्रहके
पक्षधर न होएसकल ओ घडी।
मोहनचन्द्र अधिकारी, खड्गप्रसाद ओली, राधकृष्ण
मैनाली, चन्द्रप्रकाश मैनाली जसइन अनेक कम्युनिष्ट नेतासवद्वारा चलाओलगेल झापा
आन्दोलन त खुनखराबा से पूरा भरल रहे। बहुत मारकाट भेल। पंचायतके बिरोधमे चलाओलगेल
ऊ आन्दोलनमे यी कम्युनिष्ट नेतासबके निर्देशनमे अनेक किसिमके हत्या हिंसा भेल। रुस,
चीन आदि देशके कम्युनिष्ट आन्दोलनसे अति प्रभावित झापा आन्दोलनके नेतासब के ध्यान
शान्तिपूर्ण आन्दोलनके तरफ कहियो नगेल, गाँधीजी लेखा। खाली मारकाटके और गेल।
नेतासव मारकाटके ही समस्याके समाधान देखलक।
२०४६/४७ मे सञ्चालित पञ्चायत बिरोधी
आन्दोलन कहेला त शान्तिपूर्ण आन्दोलन रहे मुदा ई आन्दोन भी शान्तिपूर्ण नहोइसकल।
बहुत जगहमे हिंसा, हत्या भेल। आन्दोनकारीसब, खास कके काठमाडौके टेकु, त्रिपुरेश्वर
आदिमे प्रहरी जवानके पिट पिटके मारलख। बहुत हृदयहीनता देखौलख, आन्दोलनकारी सब। ई
घटनाके प्रत्यक्षदर्शी ई लेखक भी रहे।
२०५२ सालमे पुष्पकमल दहाल ‘प्रचण्ड’ के नेतृत्वमे
चलाओलगेल ‘माओवादी आन्दोलन नेपालके इतिहासमे सर्वाधिक रक्तपातपूर्ण रहे। हत्या
हिंसासे भरल रहे। लोगके देहमे खून चढगेल रहे। समुचा समाज दु भागमे विभाजित होगेल
रहे। इ आन्दोलनके दौरान कहि कौनौ हत्या होखे त लोग पुछे, ‘रे कौन मरलइ?’ ‘माओवादी
मरलइ’ कहालापर पँचायत पक्षधर, सेना, प्रहरी आदि खुस होए। ‘सेना, प्रहरि मरलइ’ कहलापर
माओवादी सर्मथक खुस होए।
जोनौ तरफ के मुत्यु होखो, मृत्यु ठिक नहए, केहु
नकहे। उल्टे एगोके मृत्युपर दोसर उत्सव मनाए। ऊ आन्दोलनमे मृत्यु शोक न उत्सब
बनगेल रहे। माओवादी संघर्ष नेपालके राजनीतिक इतिहासमे बडकभारी खुनखराबाबाला घटना
होगेल। मात्र कुछ माओवादी नेताके स्वार्थके लागि भेल उ संगर्षमे हजारौ निर्दोषके
जानगेल।
नेपालके इतिहासे माओवादी आन्दोलन काल एक
डेराबेबाला सपना जइसन होगेल रहे। १७ हजार लोगके जान लेबेबाला इ आन्दोलन
समुचानेपालीके ओतिघरी हृदयहीन बनादेले रहे। आशा करू, अब येहन संघर्षके पुनरावृति
कहियो नहोइन। होएके भी नचाहिं।
गौर हत्यकाण्ड, मधेस आन्दोलन जइसन संघर्षमे भी
बहुत आदमी जान गेल। जबकी ई आन्दोलनसब सब भी शान्तिके तरिकासे होए सक्तिइअ। मुदा
नभेल। कहा नभेल? हत्या हिंसा हमनीके संस्कृति लेखा होगेल हए। हमनीसब छोटो से छोट
समस्याके समाधान भी केवल हत्या हिंसासे खोजइछी। सामान्य से सामान्य विरोध
कार्यक्रममे भी मारपिट सुरु होजाइए। यी सब करनाई अब बन्द कएला जरुरी। मारकाटसे कौन
देशके राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक विकास नभेल हए। बर्षौसे चलरहल युद्ध आ गृहयुद्ध
युक्रेन आ सिरियाके केहन बनादेलख, केहु छिपल नहए। अफ्रिकी देश यमन, गृहयुद्धके
चल्ते बरबाद होगेल। उहँमा लोग खैलाबेगर मररहल हए। बहुत जगहमे अकाल परल हए।
सदा सर्वदा लडाइ झगडा से अलग रहके केवल अपन देश आ
जनताके आर्थिक विकासमे ध्यान देबेबाला देश स्विट्जरलैण्ड देखु, केतना धनिक हए।
उहाँके जनता केतना खुस हए। एकसय बरिषसे ज्यादा होगेल, स्विट्जरलैण्ड कौनो किसिमके
लडाइ झगडामे सामेल नभेल हए। पहिलका, दोसरका विश्व युद्धमे स्विट्जरलैण्ड सामेल
नरहे। कोनौ पक्षके पक्षधर नभेल। निष्पक्ष रहलख। जब दुनिया शीतयुद्धके समयमे दुई
खेमा (अमेरिका आ रुस) मे बिभाजित भेल रहे तबहियो स्टिट्जरलैण्ड कौनो खेमामे नगले।
अब समय आगेल हए, देशके आर्थिक विकासमे जुटेके।
देशके आर्थिक विकासके लागि सबसे पहिले हामनी सबके कथि छोडेके परि? कौनो समस्याके
समाधान हत्या हिंसाद्वारा खोजेबाला प्रवृति छोडेक परी। हमनीसब ज्यादै हिंसक होगेल
छी। माओवादी आन्दोन हमनीसबके बहुत हिंसक बनादेलख।
तनको बिलम्ब नकके अब हरेक समस्याके समाधान
शान्तिपूर्ण तरिकासे खोजके परी। ओहन करनाई जरुरी हए। देशमे आर्थिक विकासके लागि
शान्ति जरूरी हए। शान्ति होइ त विकास होइ। हजारौ नेपाली युवा रोजगारीके लागि
खाडीके देशमे जाएबाला काम कम होइ। बन्द होइ।
विश्वराज अधिकारी
Friday, August 18, 2023
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