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Wednesday, September 20, 2023

Extreme Hopelessness in Our Country-Article-1

 चरम निरासा

नेपालमे अखुनी हमनीसब चरम निरासाके युगसे गुजर रहल छी। यी चरम निरास गरिबीके कारणसे उत्पन्न भेल नहए, उत्पन्न भेल हए इ देश (नेपाल) मे युवासवके भविष्य सुरक्षित नहए जइसन भावना, सोंच, आ विचारसे उत्पन्न भेल हए। अखुनी सामान्य शिक्षा प्राप्त, उच्च शिक्षा प्राप्त, दक्ष, अर्धदक्ष, उच्च दक्ष, सब किसिमके जनशक्ति नेपाल छोड रहल हए। हरेक दिन सयसे उपर युवासव विदेशतरफ प्रस्थान कररहल हए। नेपालके युवासबमे अखुनी सबसे ज्यादा निरासा हए। इ स्थिति देशके आर्थिक, सामाजिक विकासके लिए बहुत अहितकर हए। एहन नहोएके चाँहि।

एक हिसाबसे गरिबी ठीक हए मुदा चरम निरासाके स्थिति ठिक नहए। चरम निरास आदमीके भितर कमजोर बनादेइ छइ। व्यक्तिमे रहल सृजना शक्ति समाप्त करदेइ छइ। इहे कारणसे अखुन युवासब नेपालमे, अपन देश भितर अपन भविष्य सुरक्षित नदेखरहल हए।

अपन देश भितर नेपालमे ही कौनो नया रोजगारी, व्यापार आ उद्योग संचालन करेक मनस्थितिमे युवासब नहए। सिर्फ विदेशमा अपन भविष्य सुरक्षित देख रहल हए।

विदेशमे नेपाली युवाके भविष्य सुरक्षित हए, सुखी हए। यी धारणा समुचा सही नहए। आंसिक रुपमे सत्य हए। विदेशके बैठनाइ सहज नहए। काम करे, या पढे, केहन देशमे पहुँचली, उ देशके सामाजिक, राजनीतिक वातावरण केहन हए, ई सब बात पर निर्भर करइछइ विदेशका बैठनाई दु:खद हए या सुखद हए। एगो साधारण उदारण पेश करइ छी। नेपालमे प्लस टु कके वहुत विद्यार्थी (छात्रा आ छात्र) सब अखुनी अष्ट्रेलिया, क्यानाडा, अमेरिका लगायत वहुत देशसबमे पढे जारहल हए। अइसे जाएबाला विद्यार्थीसबमेसे बहुत कमके पता होइ, हम अन्दाज करइ छी, विदेशमे जाके अपन पढाइ खर्च, खनाइ, रहनाइ, लगायत अन्य सब खर्च विद्यार्थीके खुद कमाके तिरेके परइछ। कहके मतलब खुद कमाके पढु, रहु। उहाँके स्थानी सरकार पढेके खर्चा नदी। बहुतके मनमे इहए कि उहाँके स्थानीय सरकार वा कौनो दोसर श्रोत पढाइ आ रहनाइके खर्चा दी। एहन बिल्कुल नहए।

प्लस टु कके विदेश पहुँच रहल वहुत नेपाली विद्यार्थीके अखुनी नोकर कहु आ काम आसानीसे नमिल रहल हए। दोसरा ओर ओहन विद्यार्थीके अपन खर्च (पढाइ, खनाइ, रहनाइ) खुद उठाबेके बाध्यता हए।

इ ब्याप्त चरम निरासकाके स्थिति बहुत डराबना हए। येहन स्थितिमा लोग बहुत गलत निर्णय कर सकइए। अपन जान धनके नोक्सानी पहुँचा सकइए।

युवा सव! अपन देशके भितर अपन भविष्य केना सुरक्षित हो सकइए ऊ उपायसब सोंचु। नया नया उद्योग, व्यापार, रोजगारीके तरिकासब सोंचु। सिर्फ विदेस जनाइ हरेक समस्याके समाधान नहए। इ बात विद्यार्थीके अभिभावकसबक ध्यानमे आबेके चाहिं।

अखुनी चिरइके झुण्ड लेखा नेपाली युवासव विदेशके आकासमे जैसे उडरहल हए, केही उडेला व्याकुल हए, इ स्थिति ज्यादा मार्मिक हए। चिन्ताके विषय हए।

विश्वराज अधिकारी

akoutilya@gmail.com

Monday, August 14, 2023

 

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