Sunday, September 24, 2023

Problems Seen In Nepalese Politics-Article 3

 नेपालके राजनीतिमे देखलगेल समस्या

राजनीति जौनो देशके होखे ई समस्याबिनाके नहोइछइ। समस्या त होएबे करइछ। अमेरिका जइसन शक्तिसाली देसके राजनीति भी अनेक समस्यासे भरल हए। युरोपके देशसबमे भी अनेक किसिमके राजनीति समस्या हए। युक्रेन आ रुसके बिच होररल युद्ध समाप्त होएके नाम नलेरहल हए। दोसर तरिकासे कहल जाए त राजनीति अपन आपमे एगो बडका भारि समस्या हए। आ चारु और हए।

राजनीति दाओपेंचसे भरल खेल हए। एकर भितर बेइमानी हए। बदला हए। बेबिचार हए। षणयन्त्र हए। हर किसिमक दुरगुण राजनीतिमे देखा परि। गर सक्षेपमे कहे के हए त राजनीतिके केवल शक्तिके खेल कहल जा सकइए।

राजनीतिसे जुटल एगो बडका सत्य भी हए। ऊ कथि हए कि देशके सुव्यवस्थित किसिमसे संचालन करेला राजनीति आवश्यक होजाइए। बिना एको निमन राजनीतिक व्यवस्थाके कौन देश सुव्यवस्थित किसिमसे संचालन नहोसकइए। राजनीति एगो माध्यम हए। मुदा बहुत जरूरी माध्यम हए।

जइसे देशके व्यवस्थित किसिमसे सञ्चालन करेला राजनीति आवश्यक हए ओहिना राजनीतिके व्यवस्थित किसिमसे संचालन करेला नेतासबके उपस्थिति आवश्यक हए। बिना नेताके राजनीति संचालन असम्भव हए। राजनीतिमा नेतासबके भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण हए। राजनीति बाहन हए त नेतासब ओकर चालक हए।

राजनीति अनेक किसिमके समस्यासे भरल हए मुदा औरो देशके तुलनामे नेपालके राजनीतिमै बहुत समस्या हए। संक्षेपमे कहल जाए त नेपालके राजनीति समस्या समस्यासे भरल हए। केना भरल हए?

नेतासबमे अनुभवके कमी: जेना नेपालके प्रजातन्त्र नया हए ओहिना नेपालके नेतासब भी नया हए। नेपालमे प्रजातन्त्र आएल ४० बरिष भी न भेल नहए। नेपालमे प्रजातन्त्र आबेस पहिले राजतन्त्र रहे। नियन्त्रणकारी व्यस्था रहे। राजसे ज्यादा राजाके आसपास रहल स्वार्थी लोगके बात चले। मुदा जब राजतनत्र समाप्त होके नेपालमे प्रजातन्त्र आएल देशके शासन व्यवस्था अनुभवहीन नेतासबके हातमे चलगेल। अनुभवहीन नेता सव प्रजातन्त्रिक चरित्र देखाएके बजाए हिंसा आ मारकाटमे जोड देवे लागल। घरघरमे झगडा लगाबेलागल। पुष्पकमल दहाल जइसन अनुभवहीन नेताके कारण १७ हजार निर्दोष लोगके जान चलगेल। पुष्पकलम दहालके इ कारणसे अनुभवहीन नेता कहल जासइए काहे कि इ व्यवस्थमे हुन्का आ हुनकर पार्टीके आबे के रहे त १० बरिष तक खुनी संघर्ष काहे करैलन? मात्र एको पुप्पकमल दहालके व्यवहार काफी हए नेपालके नेतासबमे अनुभवके कमी हए कहेला।

अमेरिका, युरोपके प्रजातन्त्र तिन सय चार वरिष पुरान हए। प्रजातन्त्र पुरान होएलासे नेतासबमे अनुभव भी हए। नेता सब शिक्षित हए, सदाचारी भी हए। अनुभवी भी। गौर तलब बात त इ हए कि बेलायतमा संविधान नहए। बेलायत येहन देश हए बिना संविधानके भी चलरहल हए। अनुभवी नेतसव विनासंविधानके भी देशके चलारहल हए। नेपाल जइसन जहियो मारकाट, षडयन्त्र, दाओपेंच नहए।

नेतासबमे मेलमिलापके कमी: हरेक देसके  राजनीतिमे नेतासबके बिचमा खिचातानी देखनाइ स्वभाविक हए। मुदा नेपालके नेतासबके बिचमे बहुत खिचातानी हए। मेल मिलापके बहुत कमी हए। हमनीसव अब एहन होगेल छी कि बिना खिचातानी कएल जिएनसकम। खिचातानी, आपसी अविश्वास, षणयन्त्र हमनीसबके अव संस्कृति बनगेल हए। स्वभाव बनगेल हए। देशके विकासके मुदामे त छोड दु साधारण बात पर हमनीसब झगडपर उतर अबैछी, एकता नहोसकइए। हरेक समस्याके समाधान मेलमिलापसे न केवल मनमोटाब, झगडा, रगडासे खोजेबाला हमनीके संस्कृति बनगेल हए। जंगलमे जेना जनावरबिच झगडा, संघर्ष होइछइ, शक्ति प्रदर्शन होइ छइ ओहिना हमनीसबके नेताबिच झगडा होइ छइ, शक्ति प्रदर्शन होइ छइ। जंगलमे जेना जनावरसबमे, शक्तिसाली जनावरके बोलबाला होइछइ ओहिना हमनीके नेतासबके बिचमे शक्तिसाली नेताके बोलबाल हए। जौन नेता जेतना शक्तिसाली हए, ओकर हातमे ओतान ही राज्य शक्ति हए। ओतना ही कर्यकता पछाडि हए। न्यायप्रेमी नेताके पछाडि न जनता हए, न कार्यकर्ता, न त शक्ति।

नेतासबमे इमान्दारीके कमी: इमान्दारी शिक्षासे प्राप्त होएबाला चिज नह। न त कानूनी कार्यवाही आदमीके इमान्दार बनासकइए। इमान्दारी असल संस्कारसे प्राप्त होएबाला चिच हए। असल संस्कार मात्र इमान्दार नेताके जन्म देसकइए। खोट हमनीसबके संस्कारमे हए। हमनी सवके संस्कार इमान्दार नेताके जन्म नदेरहल हए। संस्कारमे सुधार बहुत आवश्यक हए।

हमनीके संस्कारमे समस्या त हए मुदा जौन स्तरमे नेतासबे इमान्दारी होएके चाहि ओतनो भी नहए। नेतासबके व्यवहारमे इमान्दारीके कमी हए। नेतासबके झूठ बोल्नाइ दुधभात होगेल हए। लाजघीन सब पचगेल हए। नेतासबके नाम बडका बडका आर्थिक घोटालासे जुटगेल हए। उदाहरणके लागि ‘ललिता निवास प्रकरण’ देखु।  

चोरचोर मौसिआउत भाइ: अपन फएदाके लिए न है त बाहर खुब झगडा करी लेकिन अपन फाइदके लिए हए त बडका दुस्मनी आ झगडा बिसरके भितरे भितरे मिलजाइ। हमनीके नेतासबके ई चरित्र, ‘चोर चोर मौसिआउत भाइ’ नेपालके राजनीतिके बडका भारि समस्य बनगेल हए। अपन फएदाके लिए हए त सब दलके नेतासब मिलके कानून, संविधान तक संसोधन कलि। दुस्मनी भूल जाइ। मिल जाइ। सरकार बनाबेला दुस्मन दुस्मन दलो भी मिल जाइ। एक होजाए। मुदा अपन फएदाके लिए नहए त साँढलेखा ढाही खेली। नेतासबम सदाचारी चरित्रके बहुत अभाव होगेल हए।

दुइचार नेताके हातमे शासन व्यवस्था: नेपालके राजनीति अखुनी केवल दुई चार नेताके चारुओर चक्कर काटरहल हए। शेरबहादुर देउवा, पुष्पकमल दहाल, केपी ओली, माधव नेपाल इत्यादि। इहे चार पाँच नेताके हातमे अखुनी नेपालके राजनीति बन्दी होगेल हए। जबकी इ नेतासबके राजनीति से सन्यास लेबेला देरी नकरेके चाहिं। इ लोग सत्ता आ शक्तिके बहुत आनन्द लेलेलख। एगो नेता (शेरबहादुर) पाँच बेर प्रधानमन्त्री होगेल। नेपालके राजनीति स्थिर होएला यी नेतासबके राजनीतिसे सन्यास लेनाइ जरुरी होगेल हए। जबतक इ नेतासब नेपालके राजनीतिमे रही, शक्तिमे रही नेपालके राजनीति कहियो स्थिर नहोइ। पुष्पकमल दहाल त नेपालके राजनीति अस्थिर करेला किरिया खएले छत।

त्यागके अभाव: भारत जब स्वतन्त्र भेल बहुत लोग महात्मा गाँधीके भारतके प्रधान मन्त्री बनेला कहलख। गाँधी इ बात अस्वीकार कएलन।  इहेलेखा जब नेपालमे प्रजातनत्र पुनर्वहाली भेल लोग गणेशमान सिंह के नेपालके प्रधान मन्त्री बनेला कहलख। मुदा गणेशमान सिंग कृष्णप्रसाद भट्टराई के प्रधान मन्त्री बनेला कहलन। कृष्णप्रसाद भट्टराइ नेपालके प्रधान मन्त्री भेलन। अघुनीके नेतासवमे लोभ आ पाप भरल हए। त्याग भव नहए। नेपालके राजनीतिक विकासके लिए, आर्थिक विकासके लिए, कौनौ नेता त्याग करेला तयार नहए। मरहु से पहिले प्रधान मन्त्री बनेके इच्छा बहुत नेतासबमे हए। नेपालके राजनीतिमे देखलगेल संकट नेतासबमे त्याग भावके अभावके कारण भी हए। सबके कुर्सी चाहिं। त्याग करेला कौनौ नेता तयार नहए।

त्याग हमनीके संस्कृति हए। मुदा लोग इ बात भूलगेल हए। अपन बाबुके वचन राखेला, राजा रामचन्द्र अयोध्याके राज त्यागदेलन। १४ बरिषके बनबास चलगेलन। पतिके साथ देबेला सीता जी दरवार त्याग देलन। एहिना, भाइके साथ देवेला लक्ष्मणजी दरबार त्याग देलन। एहन त्यागबाला हमनीके संस्कृति अखुनी स्वार्थ से भरगेल हए।

लोगमे चेनताके अभाव: नेपालके राजनीतिमे अनेक समस्या हए। उमेसे एगो समस्या हए- लोगमे चेतनाके अभाव। चुनावमे लोग अखुनियो बेइमान, चरित्रहीन, भ्रष्टाचारी नेताके भोट देके ओकनीसबके जितारहल हए। नेपालके राजनीतिमे जबतक बेइमान, भ्रष्टाचारी, चरित्रहीन नेतासबके हालिमुहाली होइ तबतक नेपालके राजनीति नसुधरी। देशमे अव्यवस्था बढी। गरिबी बढी। भ्रष्टाचार बढी। कुशासन मुह खोलके बैठी।

नेपालके राजनीतिमे स्थिरति लिआबेला, देशको आर्थिक अवस्थामे सुधार लिआबेला, रोजगारीके स्तरमे वृद्धि करेला, रोजगारीके लागि विदेश जाएके बाध्ययता समाप्त करेला चुनावमे इमान्दार नेतासबके जिताओल जरुरी हए।

खाली निरासके बात कके भी देशके विकास नहोइ छइ। आउ, आशा के भी बात करू। समय जेना बिती ओहिना लोगके सोंचमे भी सकारात्मक परिवर्तन होइन। असल संस्कृतिके विकास होइ। इमान्दार नेतासबके भी जन्म होइ। राष्ट्रिय राजनित निमन होइ। समय सदा एकेलेखा नरही। समय बहुत बलवान हइछइ।  

विश्वराज अधिकारी

akoutilya@gmail.com

Sunday, August 27, 2023   

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