Sunday, February 8, 2015

Bajjika Song-3

गीत

भोर के ठण्डी मे फगुनयी बेआर
होरी के राग मे गीत के बाहार

भोर के ठण्डी मे फगुनयी बेआर
होरी के राग मे गीत के बाहार
डुबे लागल गावँ फगुआको रंग मे
रहे खोजे मन हरपल पाहुन सँग मे

भोर के ठण्डी मे फगुनयी बेआर
होरी के राग मे गीत के बाहार

एक बेर बहगेल नफिरे नदी के पानी
लौट के फेर कहियो न आबे जबानी
कह कह के हारगेली नफिरल देश मे
कइसे रमगेल बेदर्दी दूर परदेश मे

भोर के ठण्डी मे फगुनयी बेआर
होरी के राग मे गीत के बाहार

रंग रुप उडला परे कि होइ धन
कैसे जतन करु भरल जोवन
जल्दी से आबा अब छोड के सोना चानी
साथ साथ काटे इ अमनोल जिन्दगानी 

भोर के ठण्डी मे फगुनयी बेआर
होरी के राग मे गीत के बाहार


विश्वराज अधिकारी 

गोरखापत्र "नया नेपाल" बज्जिका पृष्ठमा २०७१ साल भाद्र १० गते मंगलबार प्रकाशित


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