Saturday, April 22, 2017

Interview With Sanjay Mitra-Interview 3

अन्तर्वाता: सञ्जय मित्र

बज्जिका भाषाके विकास आ विस्तारमे सञ्जय मित्र निस्वार्थ रूपसे लागल छथिन्। बज्जिका भाषाप्रतिके हिनकर मोह राजनीति नहए बलकी माटीप्रतिके स्नेह हए। बज्जिका भाषाके विकासमे जौन हिसाबसे मित्रके समय, श्रम आ साधन खर्च होरहल हए ऊ हिसाबसे बज्जिकाभाषी हिनकर ऋणी होएके परी। प्रस्तुत हए विश्वदर्पणके लेल विश्वराज अधिकारीद्वारा मित्रसे लेलगेल अन्तर्वार्ताः

१. बज्जिका भाषाके भविष्य केहन देखैछी?
सबसे पहिले सादर प्रणाम। हम कौनो अन्तर्वार्ताके लायक नछी। एहीसे अपनेके सभी प्रश्नके उत्तर देबेके क्षमता भी हमरा नहए। हमरा बुझाइमे बज्जिकापर हमरासे तनिको कम अपनेके लगानी नहए। लेकिन तइओ सामान्य अभिरुचि बज्जिकापर हमरो होएलासे जे अपनासे बुझाइ, ओहन जबाब देबेके प्रयास हम करम।
बज्जिकाके भविष्य बहुत सुन्दर हए। बज्जिकापर चाहे बज्जिकामे नेपालके साथे विश्वके अन्य देश जैसे अमेरिका, ओमान, कतार, मलेसिया, दुबई, भारतसमेतमे विभिन्न परिवेशमे कलम चलाबेबाला लोग पहुँचके मातृभाषाके चेतना विस्तारमे हृदयसे लागल छथिन। जब कौनो अपनेआपसे परिचित होजाइअ तब हुनका दोसराके बीचमे भुलाएके सम्भावना नरहइअ। बज्जिका अपन डगहर बनबइत जारहल हए।

२. बज्जिका भाषाके विकासमे अपने जौन किसिमसे लागल छी, ऊ हिसाबसे अपनेके बज्जिका भाषाके भीष्म पितामह कहल जासकैय?
सर्वप्रथम त हम कौनो उपाधिके लायक नछी। हमरा नजरमे विश्व बज्जिकाके भीष्म पितामह प्रा.डा. अवधेश्व अरुण छथिन।

३. नेपालके कौन कौन जिलामे ई भाषा प्रचलनमे हए?  संख्याके आधारपर ई भाषा सम्पर्क भाषा आ मातृभाषके रुपमे केतना लोग बोलैय?
बज्जिका भाषा नेपालके पछिलका राष्ट्रिय जनगणनाके अनुसार एक सय तेइस भाषामे सातमा स्थानपर रहल लमहर भाषा हए। कहेके मतलब देशके सबसे लमहर दश भाषामे सातमा स्थान बज्जिकाके हए। सम्पर्क भाषाके रुपमे देशके छठा भाषाके रुपमे बज्जिकाके सम्मान मिलल हए। जिलागत अवस्था देखलापर बारा, रौतहट, सर्लाही आ महोत्तरी जिलाके लोग मूलरुपसे बज्जिका मातृभाषी हए।  धनुषा जिलाके भी सम्भ्रान्त जाति आ अन्य जातिके कथ्यगत मैथिलीमे एकरुपता नहए। अन्य वर्गके लोगद्वारा बोले जाएबाला भाषा मैथिलीसे बेसी बज्जिका हए। यदि दाबी ही कएलजाए त नेपालके दुसरका चाहे तिसरका स्थानपर बोलेजाएबाला लमहर भाषा बज्जिका रहल दाबी भी कुछ लोगके रहल हए।

४. कौनो भाषाके लेके जेतना राजनीति होई, ओतना ऊ भाषाके विकासमे बाधा परी?  ई यथार्थके मानैछी?
भाषाके लेल राजनीति आ राजनीतिके लेल भाषा दुनुमे समानता आ भिन्नता भी हए। ई बातके मानहीके परीके कौनो भी भाषाके लेके जहाँ एकरुपता नहए आ राजनीति होरहल हए त भाषाके विकासमे नकारात्मक प्रभाव जरुर परी।
हमर विचारमे कौनो भाषाके विकास लागि ऊ भाषाके माया, दया करेबाला लोग होएके चाहिँ मुदा ऊ भाषाके माध्यम बनाके राजनीति करेबाला लोगसे विकास नहोसकी।

५. ई बात सत्य हए कि असत्य?
सत्य हए

६. कौनो भाषाके विकासके लागि ऊ भाषामे बजारके भाषा बोलेके क्षमता होएल जरुरी हए । बजारके भाषाबाला भाषा दीर्घजीवन प्राप्त करसकैय। उदाहरणके रुपमे अंग्रेजीके देखू। आजु संसारके बहुत देशमे लोग अंग्रेजी बोलैय। कारण ई भाषा बोलालसे नोकरी मिलेमे आसानी होइछै। ई भाषा बेपार, पर्यटन व्यवसाय आसान बनदेइछै। फारसी भाषा कौनो समयमे बहुत जोड पकडले रहे मुदा अखुनी ठण्डा परगेल हए। यी यथार्थके केना देखैछी?
बज्जिका भाषाके बजारीकरण अत्यन्त जरुरी हए। अन्य स्थानीय मातृभाषाके तुलनामे बज्जिकाके बजारीकरण कुछ आगे हए लेकिन सन्तोषजनक अवस्था नहई । प्राथमिक तहमे पठनपाठन, स्थानीय दर्जनसे बेसी एफएममे बज्जिका ही मूल माध्यम भाषाके रुपमे प्रसारणमे रहनाइ, वेबसाइट सञ्चालन, पोस्टर पम्प्लेट बज्जिकामे निकले लगनाइ, सामाजिक सचेतनामूलक वाल पेन्टिङ लगायतके काम बज्जिकामे होनाइ बजारीकरणके प्रारम्भिक नमूना होसकइअ। अइसही पूर्वप्रधानमन्त्री माननीय माधवकुमार नेपाल बज्जिकामे ही विभिन्न जिलामे मन्तव्य देबेके, पूर्वमन्त्री माननीय प्रभु साह लगायतके लोग भी बज्जिका भाषाके मञ्चपर स्थान देनाइ बज्जिकाके भविष्यके रास्ता फैली बनरहलके उदाहरण होसकइअ।

७. बज्जिका भाषाके विकासके लागि ई भाषाके पाठक आ पाठ्य सामग्री (उपन्यास, गीत, कविता, कहानी आदि) दुनुके संख्या अधिक होएल जरुरी है। पाठ्य सामग्रीके प्रकाशनके लागि स्रोत (पैसा) के व्यवस्था केना करेके विचार कैलेछी?
साहित्यिक कृति प्रकाशनके ओर सम्बन्धित लेखकके भूमिका ही अभितक निर्णायक देखलगेल हए। पत्रिका प्रकाशन करेबाला लोग भी अपने व्यवस्थापन कररहल छत। रौतहटके कुछ साथीके कृति प्रकाशन ला हम टाइप कके सहयोग करदेइछी। हमरा किताबमे कुछ लोग आंशिक लगानी कएले छत। मूलतः कृतिकारके भूमिका ही निर्णायक हए। लेकिन कृति प्रकाशनके लेल स्थायी कोषके व्यवस्था होनाइ जरुरी हए।

८.कौनो समय एहन रहे बज्जिका भाषामे साहित्य मिलनीहार मुश्किल रहे । अखुन मिल रहल हए । ई अवस्थाके देखके खुसी लगैय?
जी बहुत । बज्जिकाके औपचारिक चर्चा २०५१ सालमे हम महिमा साप्ताहिक (काठमान्डुसे प्रकाशित)मे कएले रही । ओकरा एक दशकबाद २०६१ मे पहिल बज्जिका कृतिके रुपमे हमर कविता संग्रह प्रकाशित भेल रहे । वर्तमान अवस्थामे हर साल विभिन्न विधाके कृति प्रकाशनमे आरहल हए । कौनो भी बज्जिकासेवी आ शुभचिन्तकके लेल ई सुखद पक्ष हए ।

९. बज्जिका भाषा मैथली आ भोजपुरीसे कैसे पृथक हए?
इतिहास, स्वरुप आ व्यवहार सभी दृष्टिसे ई तिनु भाषा अपनेआपमे स्वतन्त्र हए। संस्कृतसे अपभ्रंश होइत अर्धमागधीसे उत्पन्न तिनु भाषाके मूल भौगोलिक आधार गंगासे उत्तर आ चुरिया पहाडसे दखिन रहल हए। अइसन तुलनात्मक अध्ययनपर विभिन्न विद्वानलोग पिएचडी भी करइत स्पष्ट पारले छत, दर्जनो कृति प्रकाशित हए।

१०. ई भाषामे अडियो, भिडियो एलबम बनरहल है। केवल बनलासे मातर कुछ नहोसकैय। यी सामग्रीके किन्निहार भी होएके चाहिँ। किन्निहार देखैछी?  बज्जिका साहित्यके भी किन्निहार भी देखैछी?
जहाँ पठन संस्कृति नहए, उहाँ एकर विकास करनाइ जरुरी होई। देशके सर्वाधिक निरक्षर रहल जिला रौतहट हए। साथे बारा, सर्लाही आ महोत्तरी जिलामे भी कृति पठनके संस्कृति खासे नहए। अइसन अवस्थामे कुछ कृतिके बिक्री होरहल हए। पत्रिका प्रकाशन रुकलापर पत्रिकाके माग होनाइ, नयाँ कृतिके चाहना बढनाइ जइसन अवस्थाके देखलापर पठनके ओर कुछ शिक्षित लोगके मन पनपरहल हए। हमनीके अभीके प्रयास एकरे आउरो जगाबेके हए। नाफा कमाएके नहए। दोसर बात, अडियो भिडियोके बननाइ आधुनिक दृष्टिसे बहुत सकारात्मक हए। एई क्षेत्रके विषयमे हमरा खासे जानकारी नहोएलासे हम कुछो कहम त अन्हारमे तिर मारनाइ होई।

११.ई भाषाके विकासमे कुछ कहे चाहैछी?
विश्वके प्रथम गणतन्त्र वैशालीके पतनके बाद बज्जिका जब कभी भी पराजितके भाषा रहल। नेपालके इतिहासे स्वर्ण युग कहाएबाला लिच्छवि शासनकालके सम्पूर्ण शासक बज्जिका मातृभाषी ही रहे लेकिन बादमे इतिहासके तोरमरोड कएलगेल। समृद्ध तिरहुतके शासके भाषा भी बज्जिका ही रहे लेकिन एकजने मन्त्री कवि मैथिली भाषाके रहे सम्भवतः। आज भी तीन करोडसे बेसीके मातृभाषा बज्जिका हए लेकिन भाषिक चेतनाके विकास अत्यन्त न्युन देखलजारहल हए। अशिक्षा, बेरोजगारी, गरिबी जइसन राक्षससे बज्जिकाभाषी क्षेत्र घेराएल हए। जैसे ई तिनु राक्षसके पराजित करइत युग अगाडि बढी, अपनत्वके पहिचानके भूखसे बज्जिकाके विकास होइजाई। पछिलका कुछ बरिसके बज्जिका चेतना एकर उदाहरण होसकइअ। अपनेजइसन विद्वानलोगके ध्यान आकर्षित भेल हए, भाषा आयोगसे लेके त्रिवि भाषाविज्ञान विभागतक बज्जिका पहुँचल हए। बज्जिका स्वतन्त्र भाषा रहल अनुसन्धानसे निष्कर्ष आएल हए। अन्य परोसी मातृभाषाके तुलनामे बज्जिकाके साहित्य, पत्रकारिता, गीत–संगीतके विकासके ओर अपनेआप कदम बढरहल हई। संस्थाके स्थापना होरहल हए। प्रोत्साहनके लेल धमाधम पुरस्कारके स्थापना भी होरहल हए।

बज्जिकाके आधुनिक नेपाली साहित्य प्रारम्भिक अवस्थामे होएलासे साहित्य सिर्जना करइत बज्जिकाके इतिहासमे अपन स्थान सुरक्षित करेला विभिन्न मातृभाषी साहित्यकार लोगके हम अपनातरफसे हार्दिक निवेदन करइछी।


Saturday, April 22, 2017

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